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पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रोपर्टी का कौन होगा असली मालिक – High Court Decision on Property rights

पति-पत्नी के रिश्तों में प्यार के अलावा प्रॉपर्टी के झगड़े भी कम नहीं होते। खासकर जब पति अपनी मेहनत की कमाई से कोई घर या ज़मीन खरीदकर पत्नी के नाम कर देता है। शादीशुदा ज़िंदगी में सबकुछ सही चल रहा हो तो कोई दिक्कत नहीं, लेकिन जैसे ही रिश्ते में दरार आती है, प्रॉपर्टी को लेकर असली खेल शुरू हो जाता है। पत्नी कहती है – “कागज़ में नाम मेरा है, तो घर भी मेरा!” और पति सोचता है – “कमाई तो मेरी थी, फिर ये कैसे हो सकता है?”

ऐसे ही एक मामले में हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है, जिसने साफ कर दिया कि पत्नी के नाम खरीदी गई प्रॉपर्टी पर असली हक किसका होगा। तो चलिए, जानते हैं इस फैसले की पूरी कहानी और क्या कहता है कानून!

पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी, लेकिन मालिक कौन?

आजकल कई लोग टैक्स बचाने या पत्नी के भविष्य की सुरक्षा के लिए उसकी नाम पर प्रॉपर्टी खरीदते हैं। लेकिन जब रिश्तों में खटास आ जाती है, तो यही प्रॉपर्टी झगड़े की सबसे बड़ी वजह बन जाती है। पत्नी का दावा होता है कि कागज़ात में उसका नाम है, तो घर उसका है। वहीं, पति कहता है कि पैसा उसने लगाया है, तो हक भी उसी का बनता है।

High Court Decision on Property rights

हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि अगर पति ने अपनी कमाई से पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदी है, तो असली मालिक वही रहेगा। सिर्फ़ नाम बदलने से मालिकाना हक नहीं बदलता, क्योंकि यह बेनामी संपत्ति नहीं मानी जाएगी। यानी, अगर पत्नी कहे कि घर उसका है, तो उसे ये कानून दिखाकर बताया जा सकता है कि असली मालिक पति ही है!

क्या पत्नी पति को घर से निकाल सकती है?

हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि कई बार झगड़ों के बाद पत्नी पति को उसी घर से निकालने की धमकी देती है, जो उसने खुद खरीदा होता है। सवाल उठता है कि क्या पत्नी को ये हक है? हाई कोर्ट ने इस पर भी क्लियर कर दिया है कि अगर प्रॉपर्टी पूरी तरह से पति की कमाई से खरीदी गई है, तो पत्नी पति को घर से नहीं निकाल सकती। अगर प्रॉपर्टी पति-पत्नी ने मिलकर खरीदी है, यानी दोनों ने पैसा लगाया है, तो दोनों के बराबर के हक होंगे। पति को कानूनी रूप से अपने घर में रहने का पूरा अधिकार है, उसे जबरदस्ती बाहर नहीं निकाला जा सकता। मतलब, अब किसी भी पति को अपनी ही मेहनत से खरीदे घर से निकाले जाने का डर नहीं रहेगा।

क्या यह बेनामी संपत्ति के दायरे में आती है?

भारत में बेनामी संपत्ति कानून बहुत सख्त है। इसके तहत अगर कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति किसी और के नाम पर खरीदता है, और उसके आय के स्रोत स्पष्ट नहीं हैं, तो सरकार उस संपत्ति को जब्त कर सकती है।

लेकिन अगर पति अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदता है और वह उसकी कमाई से ली गई है, तो इसे बेनामी संपत्ति नहीं माना जाएगा।

मतलब, यह एक अपवाद है, और इस कानून से डरने की जरूरत नहीं है!

ट्रायल कोर्ट में दोबारा होगी सुनवाई

इस मामले में पहले ट्रायल कोर्ट ने पत्नी के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन हाई कोर्ट ने उस फैसले को गलत करार दे दिया। अब मामला दोबारा ट्रायल कोर्ट में भेजा गया है, ताकि वहां नए कानूनों के अनुसार सही फैसला लिया जा सके।

यानी, अब पत्नी के एकतरफा दावे से पति का हक नहीं मारा जाएगा!

गुजारा भत्ता मिलेगा या नहीं?

हाई कोर्ट ने यह भी साफ किया कि अगर पत्नी पति को घर से नहीं निकाल सकती, तो क्या उसे गुजारा भत्ता मिलेगा? इस मामले में पत्नी ने कोर्ट से ₹50,000 प्रति माह गुजारा भत्ते की मांग की थी। पति की सरकारी नौकरी थी और उसकी सैलरी ₹1.25 लाख प्रति माह थी। कोर्ट ने फैसला दिया कि पति को हर महीने ₹17,000 पत्नी को गुजारा भत्ते के रूप में देने होंगे। यानी, घर का मालिकाना हक भले ही पति के पास रहेगा, लेकिन पत्नी के खर्च के लिए उसे पैसा देना पड़ेगा।

पति की संपत्ति में पत्नी का अधिकार कितना?

अगर प्रॉपर्टी पति की खुद की कमाई से खरीदी गई है, तो वह उसकी स्वअर्जित संपत्ति मानी जाएगी। अब सवाल ये है कि इसमें पत्नी का क्या अधिकार होगा? अगर पति जिंदा है, तो पत्नी उस संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर सकती। लेकिन अगर पति की मृत्यु हो जाती है और कोई वसीयत नहीं बनी है, तो पत्नी को कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में हक मिल सकता है। वहीं, अगर पति ने वसीयत में पत्नी का नाम नहीं लिखा है, तो वह इस संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर पाएगी। यानी, पति की संपत्ति पर पत्नी का हक तभी बनता है, जब कानून उसे उत्तराधिकारी मानता है।

ये फैसला हर पति के लिए क्यों जरूरी है?

हाई कोर्ट के इस फैसले से ये साफ हो गया है कि अगर पति ने अपनी कमाई से पत्नी के नाम पर घर खरीदा है, तो असली मालिक वही रहेगा। पत्नी पति को घर से नहीं निकाल सकती, भले ही कागज़ों में उसका नाम हो। साथ ही, यह प्रॉपर्टी बेनामी संपत्ति नहीं मानी जाएगी। हालांकि, पति को गुजारा भत्ता देना पड़ेगा, लेकिन प्रॉपर्टी का हक सिर्फ उसी के पास रहेगा। इसलिए, अगर आपने भी अपनी पत्नी के नाम पर घर खरीदा है, तो इस फैसले को जरूर जान लें। इससे आपका कानूनी हक सुरक्षित रहेगा और आप किसी भी गलतफहमी में अपना हक गंवाने से बच सकेंगे।

FAQ – High Court Decision on Property rights

1. पति की कमाई से खरीदी गई प्रॉपर्टी पर असली हक किसका होगा?

अगर पति ने अपनी कमाई से पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदी है, तो कानूनी रूप से असली मालिक वही रहेगा।

2. क्या पत्नी पति को घर से निकाल सकती है?

नहीं, अगर घर पति की कमाई से खरीदा गया है, तो पत्नी उसे घर से नहीं निकाल सकती।

3. क्या पति को पत्नी को गुजारा भत्ता देना होगा?

हाँ, अगर पत्नी आर्थिक रूप से निर्भर है, तो कोर्ट के आदेश के अनुसार गुजारा भत्ता देना होगा।

4. पति की मौत के बाद प्रॉपर्टी में पत्नी का हक होगा?

अगर वसीयत नहीं बनी है, तो पत्नी कानूनी उत्तराधिकारी होगी और उसे हिस्सा मिलेगा।

5. क्या यह बेनामी संपत्ति मानी जाएगी?

नहीं, पति की कमाई से पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति बेनामी नहीं मानी जाएगी।

Disclaimer: यह आर्टिकल केवल सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है। किसी भी निर्णय से पहले आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि करें।

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